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Micros of a society

'Home is where your 'wi-fi' connects automatically'
ये 'wi - fi ' है संगम मन में निर्मित भाव का 
निर्झर समय की धारा  में बह कर, सुगठित एक स्वभाव का 

एक जुझारूपन हिम्मत का नाविक ,
जो परिणाम है 
जीवन गत देखे-झेले अभाव का 

हाँ ये अभाव ही तो मार्ग है,
एक नए शहर में 
एक नए घर के नव निर्माण का,
एक नए दिन के नव पहर में 
न बुझने वाले अलाव का 
ये अभाव स्टैंड नहीं है पोजीशन ऑफ़ वीकनेस का 
पर है ये साहस, जिब्राल्टरी समस्या की उपस्तिथि का स्वीकारना 
फिर नियति के समक्ष जोश भरना!
है  Home जो अब 'वर्क फ्रॉम होम ' का स्थल 
कर्म की ये स्थली,
जिसपे बढ़ना चाहे निश्छल !

इस होम के सदस्य जो हमारे मार्ग आते हैं 
कुछ समय रहते फिर चले जाते हैं 
इक नदी की धार जैसे छोटी छोटी नदियों का संगम बनती है,
ये फ्लैमटेस की धारा भी,
अपनी एक कहानी कहती है!

इस रस्ते का राहगीर, एक कोने में अपनी बटिया रखता है,
हर कोना फिर घर का , एक नयी कहानी कहता है,
फि ये घर, एक नव निर्मित सराय सी कहानी गढ़ता है!

इस सराय के भी अनेक से पात्र हैं,
हैं भिन्न भिन्न से ये चरित्र,
संख्या इनकी उँगलियों की गिनती भर मात्र है!

एक चरित्र जिसका अकार आकाश है,
जिसमे समाहित अनगिनत आकार हैं,
है विशेष असीमित, एक गुण का आधार 
उसमे निर्मित यांत्रिक पाठन की बौछार 
ज्ञान और कर्म का संयम बन गया जो वीर बनके 
है बढ़ रहा वो जीवन पथ पर एक आमीर बनके ,
एक विकार घर गया इस चरित्र में भी,
भूल गया वो जीवन के जीव शास्त्र को,
लगता वो घसीट रहा एक्सपायरी डेट के शरीर मात्र को !

एक चरित्र बढ़ गया है,
 नव-निर्माण के पथ पे,
अविष्कार के रथ पे ,
पर जिसके मार्ग अनेक हैं,
'रोड नॉट टेकेन' के पथ पर बढ़ रहे ये व्यक्ति विशेष हैं,
ये भी जीव शास्त्र के अंक पर घट रहे हैं,
आपाधापी में इनके टेक्निकल डेब्ट पट रहे हैं !

एक चरित्र खो गया गोते लगा के नील-समुद्र में 
कर्म-योगी , कर्म है प्रधान इनकी सोच में,
इनको जरूरत है सामाजिक ज्ञान के व्यवहार का 
उसपे निर्मित समुद्री बीच के विस्तार का !

एक चरित्र जिसका विशेष व्यवहार है 
छड़ीक आकर्षण जिसका आईपीआर है 
है प्रभावी ये गुण , नव निर्माण के दिशा निर्माण में 
पर हम चाहे एक स्थायी व्यव्यस्था के निर्माण का !

इस तरह चरित्रों का आवागमन 
एक सत्य है 
पर इसे घर कहे या सराय 
ये भी एक अर्ध सत्य है 
सराय आया राही , एक रात वहां बिताता है,
फिर बढ़ जाता अगले मोड़ पर!

पर इस सराय में और  भी कोने हैं महत्व के,
जो हैं अगणित भाग इन सरायों के ,
और इनका महत्व वो समझे ,
जो हैं थोड़े परिपक्व से !

प्रत्येक भाग के प्रतीकात्मक अध्यन से,
एक सर्व-व्यापी चिंतन से 
नव-निर्माण होता इस सराय का,
जीव - पथ के अग्रिम पंक्ति के पर्याय का

यही प्रकृति आधारित व्यवस्था का नव-निर्माण है 
स्वयं की शक्ति को परिलक्षित करने का प्रमाण है 

फिर कहानी है अर्ध निर्मित व्यवहार के पूर्ण निर्माण की,
बिलकुल वैसा ही, 
जो एक तार है मन और बोली में,
मन गढ़ता एक वृहद् संसार है,
पर जिह्वा न बोलती, हर एक शब्द की धार है 
जो वो सोचे, जो वो बोले और जो वो करे, अगर एक पंक्ति में 
वो बनकर निकलते एक अप्रतिम शक्ति में 

कैसा अधभुत सा ये संयोजित निर्माण है 
होता प्रतीत इस संयोजन का अन्तः ऊर्जा से होता निर्माण है,
इसके संयमित योग पर,
चिन्हित लक्ष्य के संयोग पर,
इस ऊर्जा के प्रहार से 
उससे निर्मित व्यवहार से 
परिणाम का निर्माण हो !

अगर सुशोभित इस कदर प्रयास है 
तो फिर विरोधी का पूर्णतया ही अवकाश है 
इस अवकाश से , जिस सूर्य का उदय है 
उसमें,
लालिमा है, सांझ के ढलते सूरज की 
नीलिमा है, विराट समुद्र के रीति की 
हरापन है, अनुपम जंगल के वृक्षों का 

है ये शोभा एक वृहद् क्रम की कृति का 
श्रम से भीझी वस्त्र की स्मृति का 

इससे है सिंचती , खिली पुष्प की पंखुड़ि
चेनाब, ब्यास और रावी के आब की सिखणी 

ध्येय इन पंक्तियों का नहीं है,
व्याख्यान macros का 
पर जो निर्माण करते 
और हैं ये मूलभूत 
कहते जिन्हे micros सा 

इन micros के चिन्हित व्यवहार पर 
उस पर सुगठित विश्वास पर,
परिलक्षित होते हैं जिन पर दृढ प्रयास 
फिर यही कहानी बढ़ती जाती है 
कुछ नए इतिहास गढ़ती जाती है 
नव निर्माण की गाडी ,
नयी ऊंचाइयां चढ़ती जाती है 

फिर एक ऐसे विश्वास का निर्माण होता है 
जिसका अणु तगड़े Micros का प्रमाण होता है 
प्रेम, पर्व, प्रभाव, प्रयास
फिर प्रकृति में फूल से खिलते हैं 
जहाँ नीतिकार और अवकार , सह-सवार मिलते हैं 
ये विषय फिर पाठ्यक्रम का हिस्सा बन जाता है 
फिर सदियों तक न भूलने वाला एक किस्सा बन जाता है !



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