Skip to main content

Posts

Showing posts from April, 2020

बिन माया

तुमने जिस पते को चाहा, वहां धन की माया न थी, जिस पथ पर तुम चले अनिश्चित पर था, कदम का क्रम आगे बढ़ता गया, रास्ता तलाशे एक नया, जिसपे भले कांटे ही बंधे थे, बिन काँटों के रास्ते, ऐसे पते कब सधे थे?

पिछले पन्ने

नोट्स का पिछला पन्ना जिसपे लिखा कुछ कि -  तुम चाहो कुछ ऐसा, जो किसी और का है ये मामला भी बड़े गौर का है, ऐसे कई किस्से इन पन्नों पर आ जाते हैं हां ये पिछले पन्ने ही तो थे , जो बादल से बनते हैं फिर खो जाते हैं !

Micros of a society

'Home is where your 'wi-fi' connects automatically' ये 'wi - fi ' है संगम मन में निर्मित भाव का  निर्झर समय की धारा  में बह कर, सुगठित एक स्वभाव का  एक जुझारूपन हिम्मत का नाविक , जो परिणाम है  जीवन गत देखे-झेले अभाव का  हाँ ये अभाव ही तो मार्ग है, एक नए शहर में  एक नए घर के नव निर्माण का, एक नए दिन के नव पहर में  न बुझने वाले अलाव का  ये अभाव स्टैंड नहीं है पोजीशन ऑफ़ वीकनेस का  पर है ये साहस, जिब्राल्टरी समस्या की उपस्तिथि का स्वीकारना  फिर नियति के समक्ष जोश भरना! है  Home जो अब 'वर्क फ्रॉम होम ' का स्थल  कर्म की ये स्थली, जिसपे बढ़ना चाहे निश्छल ! इस होम के सदस्य जो हमारे मार्ग आते हैं  कुछ समय रहते फिर चले जाते हैं  इक नदी की धार जैसे छोटी छोटी नदियों का संगम बनती है, ये फ्लैमटेस की धारा भी, अपनी एक कहानी कहती है! इस रस्ते का राहगीर, एक कोने में अपनी बटिया रखता है, हर कोना फिर घर का , एक नयी कहानी कहता है, फि ये घर, एक नव निर्मित सराय सी कहानी गढ़ता है! इस सराय के भी अनेक से पात्र हैं, हैं