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Showing posts from July, 2012

आज मुझे चुनना पड़ा....

आज मुझे चुनना पड़ा.... काले और सफ़ेद में, हिंदी और अंग्रेज़ में.. उस क्षण थी चुनने की दुविधा .. सूचना - सीमित समय के लिए उपलब्ध है ये सुविधा ! हमारी धुन थी चट्टान सी मजबूत .. सूचना -  बिन जल ...मछली के ...नाचने के मिले हैं सुबूत ! धुन को हमने अभी ध्यान से हटाया  मौका भांप .. आस्तीन के सांप से हाथ मिलाया  अचानक .. शांत हूँ, स्थिर हूँ .. वाह्य प्रकृति की गोद में  शांति की शोध में  किन्तु,  अन्दर भंवर है भाव का  कि, एक महान उद्देश्य- एक महान देश  अवसर ढूँढूं या अवशेष  मेरी प्रेरणा है - प्रकृति, राजनीति कि विकृति, जन की मौन स्वीकृति ! अभी तो सो रहा हूँ मैं, ६*४८*७६ पे करवटें ले रहा हूँ मैं  घंटी- घड़ी पुकारती , मेरी मौन-धुन स्वीकारती !