तुमने जिस पते को चाहा, वहां धन की माया न थी,
जिस पथ पर तुम चले अनिश्चित पर था,
कदम का क्रम आगे बढ़ता गया,
रास्ता तलाशे एक नया,
जिसपे भले कांटे ही बंधे थे,
बिन काँटों के रास्ते, ऐसे पते कब सधे थे?
जिस पथ पर तुम चले अनिश्चित पर था,
कदम का क्रम आगे बढ़ता गया,
रास्ता तलाशे एक नया,
जिसपे भले कांटे ही बंधे थे,
बिन काँटों के रास्ते, ऐसे पते कब सधे थे?
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